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सोशल डिस्टेंसिंग से ज्यादा मास्क कोरोना वायरस को रोकने में बड़ी भूमिका निभा सकता है. हाल ही में प्रकाशित एक अध्ययन में यह जानकारी मिली है. शोधकर्ताओं ने पाया है कि सिर्फ तीन मीटर की दूरी की तुलना में फेस कवर का उपयोग करने से जोखिम 225 गुना कम हो सकता है. कोरोना वायरस महामारी की शुरुआत से ही विशेषज्ञ मास्क का महत्व बताते रहे हैं. विशेषज्ञों ने हाथ की स्वच्छता, सोशल डिस्टेंसिंग और नए वेरिएंट ओमरोन के बचाव में मास्क के इस्तेमाल पर भी बात की है.
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ताजा शोध में जर्मनी और अमेरिका के विशेषज्ञों ने पाया है कि चेहरे को ढकने से ज्यादा सुरक्षा मिलती है. यह पाया गया है कि यदि आप किसी संक्रमित व्यक्ति के पास 5 मिनट के लिए 3 मीटर की दूरी पर खड़े रहते हैं और दोनों ने मास्क नहीं पहना है, तो आपके COVID होने की संभावना 90 प्रतिशत है. वहीं, अगर कोई सर्जिकल मास्क पहन रहा है तो यह समय 90 मिनट का हो जाता है. अगर दोनों ने मेडिकल ग्रेड FFP2 मास्क पहन रखा है और अलग-अलग खड़े हैं, तो एक घंटे के बाद वायरस फैलने का खतरा 0.4 प्रतिशत तक कम हो जाता है.
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अध्ययन से पता चला है कि सिर्फ सोशल डिस्टेंसिंग करने से बेहतर मास्क बेहतर है. वहीं कोरोना से संक्रमित होने का खतरा इस बात पर निर्भर करता है कि मास्क कितना टाइट और मजबूत है. भले ही संक्रमित और स्वस्थ व्यक्ति अच्छी तरह से फिट होने वाला FFP2 मास्क पहनते हैं, फिर भी जोखिम 1.5 मीटर की दूरी पर भी 20 मिनट के बाद भी 1000 में से एक होगा. अगर दोनों ने ढीले मेडिकल मास्क पहन रखे हैं तो खतरा 4 फीसदी बढ़ जाएगा. दोनों ने अच्छी फिटिंग वाला सर्जिकल मास्क पहना है, इसलिए 20 मिनट के बाद सबसे ज्यादा खतरा 10 में से एक होगा. वहीं, खुले सर्जिकल मास्क में जोखिम 30 फीसदी हो सकता है.
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