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उम्मीद की जा रही थी कि 2022 में दुनिया भर के शेयर बाजारों में गिरावट के बावजूद जिस तरह से सेंसेक्स निफ्टी ने नई ऊंचाईयों को छुआ है, निवेशकों ने कठिन परिस्थितियों के बावजूद जबरदस्त कमाई की है, ऐसे में साल 2022 की शानदार तेजी के साथ विदाई शेयर बाजार दी जाएगी. लेकिन यह उम्मीद धरी रह गई। बुधवार, 22 दिसंबर को जैसे ही यह खबर आई कि चीन में कोरोना के बढ़ते प्रकोप को देखते हुए भारत के स्वास्थ्य मंत्री बैठक करने जा रहे हैं, शेयर बाजार ने यू-टर्न ले लिया और पिछले तीन दिनों से, बाजार में बड़ी गिरावट देखने को मिली.
शुक्रवार को आई गिरावट की आंधी में सेंसेक्स 1000 और निफ्टी 300 अंक से ज्यादा नीचे फिसल गए. पिछले चार दिनों में सेंसेक्स 2000 अंक गिर चुका है, जबकि निफ्टी 580 अंक लुढ़क चुका है. पिछले चार कारोबारी सत्र में निवेशकों के 15 लाख करोड़ रुपये डूब चुके हैं. लेकिन सवाल उठता है कि क्या बाजार में यह गिरावट सिर्फ कोविड की खबरों की वजह से हुई है या इस गिरावट की वजह कोविड से कहीं ज्यादा है?
सीएनआई रिसर्च के किशोर ओस्तवाल कहते हैं कि कोविड हमारे दिमाग में है न कि अमेरिका, चीन, जापान या कोरिया में जिससे हम डरते हैं. उन्होंने कहा कि बाजार में उतार-चढ़ाव योजना का हिस्सा है. लेकिन निफ्टी का 19400 तक का सफर तय है. उन्होंने कहा कि जब भी बाजार में फील गुड फैक्टर काम करने लगता है तो फियर इंडेक्स फट जाता है.
अमेरिका और यूरोप में लगातार मंदी की बात सामने आ रही है. अमेरिका में महंगाई पर लगाम लगाने के लिए फेड रिजर्व ब्याज दरों में बढ़ोतरी कर रहा है और अगर ऐसा ही चलता रहा तो आंशिक मंदी आ सकती है. अगर ऐसा होता है तो इसका असर भारतीय अर्थव्यवस्था पर पड़ना तय है. हमारे निर्यात में कमी आएगी, जिसका प्रमाण आईटी शेयरों में गिरावट से पता चलता है. इन चिंताओं के बावजूद भारतीय शेयर बाजार में तेजी जारी रही. लेकिन अब भारतीय बाजार इन नकारात्मक खबरों पर प्रतिक्रिया दे रहा है.
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